यूँ तो तुम्हारे दिमाग़ में बहुत विचार आयेंगे
बस उससे दिल से आया है कह कर बता देना
अगर वो थोड़ा सा या ज़रा फिसल जाए तुम पर
तो हाथ थाम, गले से लगा लेना
कहना समंदर है फिसल गई तो छोर न मिलेगा
दिल ब्रह्माण्ड सा है कोई ओर न मिलेगा
कई सदियां लग जायेंगी ढूढ़ ढूंढ़ कर थक जाओगी
फालतू का वक्त जाया होगा
आज ये वक्त बीत गया तो फिर पस्ताओंगी
ठीक उसी समय
दूर बैठा कोई ये लम्हा कैद कर रहा होगा
जरा सोचो न ये तस्वीर उस दौर में कितना शानदार होगा
देख तस्वीर कोई शायर जब भी कोई पंक्ति गढ़ेगा
पाठक भी पढ़ मंत्रमुग्ध हो वाह वाह कहेगा ।।
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)