शनिवार, 13 मई 2023

1.कोई उनसे कहो डीपी लगा लें, मेरी आंखे सुकून ढूंढती हैं

हां 

देखो 

हर बात तो नहीं मानती हैं ....

पर 

थोड़ा ही सही

हर इशारे जानती हैं ....


इश्क भले नहीं

खुद के 

तस्वीर से नवाजती...


पंक्ति का तस्वीर से तालुकात

बढ़ता

बिन कहे हर बात कह जाती...


एक रात 

कोई परी जागती रही 

सुना शहर

थोड़ा भी आवाज़ नहीं... 


मसला तस्वीर का था

पर इशारे में ही सही 

हर बात बता रही....


मूक

किन्तु बोलती तस्वीर

विरानी में कोई अपना कहता गया...


देखो कोई टिप्पणी बिन

राहें इश्क पर

कोई चलने को राज़ी हो गया...


दे न दर्द 

कर दिल जख्मी 

तेरी तस्वीर

 न गढ़ा पंक्ति में तो कहना...


एक दीदार करा

इशारा ही सही 

बेवक्त वक्त निकाल कर न आया

तो कहना...


जालिम राजी न हुआ 

किस्सा सुनाने को 


बड़ी उतावली थी

कोई ज़हर लेकर

मौका देख पानी में मिला दिया

किस्सा कहानी में बदल गया


कई सदियां गुज़र गया 

आज़ भी हिस्सा न हुआ

बेवक्त मौत हो गया , आशिक़ फरिश्ता हो गया


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)


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शुक्रिया 💗

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