शनिवार, 1 मई 2021

!! सत्ता_ मेरे बापू _मातम !!

1.

अब वो नजारा न रहा 
बदल दे रास्ता और मंजिल 
भुल जा उनको 
जो अपनो को ही 
जीते जी फ़ूक दिया

अब वो कहते हैं 
करु गुलामी उनकी 
ये बर्दाश्त कहाँ होगा 
जो अपनो को ही 
जीते जी कफ़न मे पिरो दिया

भलाई के दौर में 
जमाना पिछे जा रहा 
हमे अभी मालुम चला 
हालत इतने बद्तर हो गया 
जिनके लिये लडा़ वही 
सिने मे खंजर घोप दिया

वो लड़ाई मे भी जब
 सिकस्त खाने लगे 
कहते मेरे मत को 
ही लूट लिया 
उतर मैदान मे कमान 
सम्हाली नही जाती 
हालात ये, कि वतन 
मे भी विभेद कर दिया

#बेढँगा_कलमकार ✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

2.
अब सुबह की लालिमा मे भी 
वही तपती धूप आती है 
जमी गिली क्यो न हो 
वही बन्जर भू नजर आती है 

अब वो हमे सलिका 
सिखा रहे हैं बगावत का 
तो कह दू , कि
उनको खुद कि जमी 
क्यूँ नजर नहीं आती है 

मेरे मातम का जमावटा 
ऐसे मनाते है 
बताते है मेरे वजूद की 
खामिया 
आया इसलिये थे कि 
अपना लगाव, 
 फ़ूक दिये जीते जी जिन्हें 
उन्हे बताते है

#बेढँगा_कलमकार ✍   इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

3.
वाह रे तेरे शोकोजहद 
कि बेताबी 
तेरे मसलन कि 
उम्मीद 
वो जमी की आदत 

कब तलक प्यास 
बूझेगी तेरी 
कब नदी की धारा 
करवट बदलेगी 

है सिने मे प्यार अब भी 
तु जीत जा 
छोड़ दूंगा शहर तेरा 
कुछ पल अभी 
रुक जा 

तेरा शरीर आग की 
ज्वाला मे जल रहा 
मै तो था शितल 
तभी हू अभी भी चल रहा 

तेरे साथ का रफ़ू अभी 
बोल रहा 
चलता था धीरे-धीर 
शायद,  इसिलिए हू 
डोल रहा

#बेढँगा_कलमकार ✍   इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

1 टिप्पणी:

  1. अच्छा प्रयास है इंद्र जी,,आपकी सतत उन्नति की कामना है...

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शुक्रिया 💗

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