बुधवार, 23 जून 2021

दरकिनार करना चाहती है

किसी को दरकिनार कैसे करूं

दिल तोड़ कर इंकार कैसे करूं

अब इश्क हो गई तो हो गई

अब उसको नज़र अंदाज़ कैसे करूं


कि मोहलत मांगती है वो इश्क के लिए

फ़िर हाथ बढ़ाती है वो दोस्ती के लिए

एहसास हुआ है उसे अकेलेपन का तो 

मै भी मर मिटा हूं अब दोस्ती के लिए


कि आजाद उड़ना चाहती है वो 

इश्क को सरे बाज़ार करना चाहती है वो

कि अब दिल भर गया है मुझसे तो

दरकिनार करना चाहती  है वो


#बेढँगा_कलमकार 

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

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