मेरे मेहनत के पसीने में
वो खुशबू थी
जो मेरी तक़दीर गढ़ रही थी
और मेरे शरीर के ताप में
वो फ़जा थी
जो मुझसे इश्क कर रही थी
तक़दीर ऐसी थी कि
कामयाबी आसमान छू रही थी
और फज़ा ऐसी थी कि
इश्क बेइंतहा प्यार कर रही थी
मै भी मर मिटा था अब उसपे
उसकी एक एक मैसेज का इंतजार करता था
वो भी करती थी प्यार इतना
कि उसका दिल भी मेरे नाम से धड़कता था
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
शुक्रिया 💗