मुझे हज़ार नहीं एक कि तलाश थीं
और वो है आज भी , जो बेमिसाल थी
पर तोड़ रहा हूं आज उससे रिश्ता
पूछेगी क्यूं , दे दूंगा ज़वाब
कि तू मेरे लिए , खास नहीं थी
दर्द होगा पर भविष्य के लिए अच्छा होगा
नहीं तो हो जाएगी आदत उसकी
मैं तब उसके बिन नहीं जी पाऊंगा
फ़िर मुझे लिखना पड़ जाएगा
कि वो मेरे लिए , देशी शराब थी
#बेढँगा_कलमकार
#प्यारी_गुड़िया (A)
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
कुछ के लिए चाहत ए शबाब थी
जवाब देंहटाएंलेकिन मेरे लिए काँटों मे गुलाब थी
सही तो लिखा तुमने , उसके लिये
की वो तो मेरे लिए, देशी शराब थी
@Vishnu Shukla