शनिवार, 3 जुलाई 2021

कि वो मेरे लिए , देशी शराब थी

मुझे हज़ार नहीं एक कि तलाश थीं

और वो है आज भी , जो बेमिसाल थी

पर तोड़ रहा हूं आज उससे रिश्ता 

पूछेगी क्यूं , दे दूंगा ज़वाब 

कि तू मेरे लिए , खास नहीं थी


दर्द होगा पर भविष्य के लिए अच्छा होगा

नहीं तो हो जाएगी आदत उसकी 

मैं तब उसके बिन नहीं जी पाऊंगा

फ़िर मुझे लिखना पड़ जाएगा 

कि वो मेरे लिए , देशी शराब थी

#बेढँगा_कलमकार 

#प्यारी_गुड़िया (A)

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

1 टिप्पणी:

  1. कुछ के लिए चाहत ए शबाब थी
    लेकिन मेरे लिए काँटों मे गुलाब थी
    सही तो लिखा तुमने , उसके लिये
    की वो तो मेरे लिए, देशी शराब थी

    @Vishnu Shukla

    जवाब देंहटाएं

शुक्रिया 💗

थी आवाज भर, जो कभी सुकून

सजीव तस्वीर, वो नज़र, काजल, बिंदियां  कमाल की थी मुस्कुराता चेहरा, छिपी उसमें गुनेहगार भी थी दी थी जख्म, दर्द नहीं  कराह थी, शिथिल पड़े  एहस...