शनिवार, 10 जुलाई 2021

ख़्वाब में आई मात्र एक शायरी थी

कुछ लिखने को दिल किया

तो लिख दिया 

मुझे इश्क बेहतर लगा तो 

इश्क कर लिया 


उसे अच्छा नहीं लगा 

तो बेशक इंकार कर देती 

 

मैं शिकायत भी न करता

और कोई दबाव भी न देता

चाहे भले सरे बाजार 

या फिर मुझे बर्बाद कर देती 


पर 

उसे रात में नींद नहीं आई 

तब पता चला कि 

उसे किसी चीज़ कि जरूरत थी 

और फ़िर बाकायदा अख़बार में छप गई  

कि वो चीज़ है इश्क 

जो उसे भी जरूरत थी


पर मै क्या जानू 

कि क्यूं रात भर बातें 

वो करती रही

और समय का परवाह भी न की और समय बर्बाद करती रही 


और रूठ भी गई 

बोलना भी बन्द कर दी

फ़िर पुनः अख़बार में छप गई 

कि वो ख़्वाब में आई मात्र एक शायरी थी


#बेढँगा_कलमकार

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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