मैं तन मन सब तुझे दे दू
तो क्या करोगी
मैं टूट जाऊ मर जाऊ
तो क्या करोगी
बस ख्वायिस रहेगी आप से हमें
अपनी सीने से एक बार लगा लेना हमें
दिल के गहराईयों में झांक कर देखो
साफ सब कुछ नज़र आएगा
अगर नज़र में है खोट
मैं दिखाने बैठ गया और मर भी जाऊ
तो तुम्हें नज़र नहीं आएगा
नहीं मानता कसम को
सब भरम हैं
गुम हूं एक कमरे में
नहीं हैं खिड़की
बस है एक दरवाजा वो भी बंद है
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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