शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

नहीं तो यूपीएससी क्रैक करने में कहां देरी है

मेरी हथेली की कुछ लकीरे 

बस बदलनी है

कुछ वक्त , कुछ फखत 

बस बाक़ी है 

नहीं तो यूपीएससी क्रैक करने में

कहां देरी है 


मैं ख़ामोश हूं अभी 

जल्दी की कोई बात नहीं है

नदी की तरह सतत चल रहा हूं

रहमत है खुदा की 

दर्द पर मरहम लगा कर 

रात भर जग रहा हूं 

हौंसला बुलंदी पर है 

डरने की कोई बात नहीं है


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

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