एक अरसे से कोई खत न कोई संदेश आयी
दहक रहा है दिल अग्नि सा कैसी है वो रोग लगायी
और अपनी निगहो से जो चोट की थी दिल पर
आज वो चोट फ़िर से है उभर आयी
दर्द स्पष्ट झलक रहा है उसके चेहरे पर
चोट गहरा है, इलाज नही है शहर भर
तापमान बढ़ रहा है उसके बदन का
और जलमग्न हो रहे हैं पूरे की पूरे शहर
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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