शनिवार, 16 अक्टूबर 2021

फिर मिलेगीे वो उसी छत पर, कुछ वक्त गुजर जानें दो

कितनी तड़प है दिल में , 

थोड़ा तो सम्हालो यार 

मिल जाएगी वो, एक न एक दिन 

कुछ दिन तो गुजारो यार 


अभी तो जलजला आया ही था ,

थोड़ा ठहर जानें दो 

फिर मिलेगीे वो उसी छत पर, 

कुछ वक्त गुजर जानें दो


मैं आप के दर्द को समझ सकता हूं 

मोहब्बत इस कदर है उससे 

कि कुछ कर नहीं सकता हूं 


आपके जख्म का मरहम भले बन जाऊ मैं  

पर उस दर्द को कहां कम कर सकता हूं


वो आप के दर्द की दवा है , 

उसे आप को लाना ही होगा 

भले लड़ना पड़े जमाने से,

पर उससे किए वादे को निभाना ही होगा 


प्यार की कोई कीमत नहीं होती 

क्यों नहीं समझते पैसों के दीवाने 

क्यों लगें हैं तोड़ने दिल के रिश्ते को 

जो हैं दस साल पुराने


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

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