उस गली में अब आना जाना बंद कर दिया हूं
जिस गली की सोते जगाते याद आती है
और भटकना चाहता था जब
तब भटका ही नहीं
अब क्या भटकू..
जब उस गली में वो चाँद नजर नहीं आती है
मै महफ़ुज होकर दिन रात उसके ख्वाब देखा करता था
लगये टकटकी उसकी राह देखा करता था
अब नहीं करना पड़ेगा इन्तजार उसका
कि छत पर अब वो चाँद नजर नहीं आती है
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
शुक्रिया 💗