बुधवार, 30 मार्च 2022

मेरा हाल न पूछो मेरे रह गुजर ।। हम भी इन्हीं हालातों से गुजरे हैं

तुम कुछ कहो या ना कहो

सारी इशारे हम भी समझते हैं

मेरा हाल न पूछो मेरे रह गुजर 

हम भी इन्हीं हालातों से गुजरे हैं


व्याकुल भरे नजरों से देखती हो तुम

बिन मुख खोले, बेबसी कहती हो तुम

छुपाएं न छुप रही है, पता है हमें 

बिन बताए जो कुछ कहती हो तुम


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

शुक्रिया 💗

थी आवाज भर, जो कभी सुकून

सजीव तस्वीर, वो नज़र, काजल, बिंदियां  कमाल की थी मुस्कुराता चेहरा, छिपी उसमें गुनेहगार भी थी दी थी जख्म, दर्द नहीं  कराह थी, शिथिल पड़े  एहस...