1.
हम भी इतने खुद्दार न हुए होते
गर वो मोहब्बत कर लिए होते
शादी कर दो बच्चे पैदा कर
हम भी परिवार नियोजन कर लिए होते।।
2.
मैं पागलों सा भटकता रहा रात भर
न जाने किस शहर में रहने लगी थी आज कल
आहट से पहचान लिया करती थी जो कभी
वो देखने से भी कतराती हैं आज कल ।।
3.
कितना भी छिपाओ बात बता जाता है
शक्ल दिल का हाल बता जाता है
सारी हरकत है इन उंगलियों का
नफ़रत भी लिखूं प्यार लिखा जाता है ।।
4.
जिंदा रहना था जिनके दिल में
वो ख़्वाब देखते हैं गैरों के
इश्क न होता जो न उनसे
हम भी ख़्वाब सजाते औरों के ।।
5.
जितनी जिंदगी जीए हैं अकेले ही जीए हैं
उनकी मोहब्बत ने तो कुछ दिया ही नहीं
जबरदस्ती हक जताते है वे हम पर
इस तन्हाई की एक भी दवा काम किया ही नहीं ।।
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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