हाल ए दिल बताएं कैसे
गुजारे हम भी अकेले हैं
मरम्मत कराया है कई बार दिल का
चोट खाये हम भी है
बात मसलन दिल की थी
नही तो समझौता कर लेते
गुजार लेते जिंदगी अकेले भी
पर लत लग गई थी उनकी
पूछता है कोई
मेरे न होने का एहसास होता है क्या
एहसास छोड़ ये भी पूछते तो अच्छा होता
कि तेरा हाल है क्या
रिश्ते छोड़ झगड़े गिनाने में अमादे हैं वे
अच्छाई छोड़ खामियां गिनाने में अमादे हैं वे
उनको कहा खबर है कई वर्ष घर पर नही
सड़क पर गुजारे हैं मैंने
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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