रविवार, 24 अप्रैल 2022

चले आओ गांव से शहर ।। इलाहाबाद बुलाती है

किसी की याद बुलाती है 

दिले आवाज बुलाती है


कि चले आओ गांव से शहर

इलाहाबाद बुलाती है


मेरा मन माने ना 

दिल तेरे बिन लागे ना 


कब तक रहोगे गांव में

अब इलाहाबाद चले आओ ना


आखों में उतर आओ तुम

ख्वाबों में चले आओ तुम


बड़े दिन हो गए गांव में

अब शहर चले आओ तुम


एक दिल है जो रोज रोता है

याद में, प्यार में, इंतजार में


भूल क्यूं गए हो शहर भला

पहर भर के लिए नजर आओ तुम


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

शुक्रिया 💗

थी आवाज भर, जो कभी सुकून

सजीव तस्वीर, वो नज़र, काजल, बिंदियां  कमाल की थी मुस्कुराता चेहरा, छिपी उसमें गुनेहगार भी थी दी थी जख्म, दर्द नहीं  कराह थी, शिथिल पड़े  एहस...