कई लम्हों से अकेले हैं
आज कोई आवाज लगाई है
आ कर मिल क्यूं नहीं लेते
इलाहाबाद मेरी मां भी आई है
ख़बर सुन दिल गद गद है
मन फूले न समाता
बस फासले है 60 किमी की
नही तो दौड़ा चला आता
जो बात अरसों से दफ़न किया
वो बात तुमने एक पल में कह दिया
रोज़ रोज़ का बात छोड़
सीधा शादी का बात कर लिया
अजीब चाहत है गजब का नशा
दिल खुश है बस घर वाले खफा
कहती हो घर वालों को मना लो फिर क्या
कोई अड़चन नहीं होगी, पूरी लाइन सफा
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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