गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

हाय_रे_इश्क़

बात कुछ नही मोहब्बत का था 

कुछ बोला नहीं गुनगुना कर चला गया 


रात काली रही पूरी रात भर

जब तक सुबह का सूरज नही आ गया ।।


जुबान लड़ खड़ाई

और कुछ बोल नहीं पाया 


वो शर्मा कर चली गई

दिल का राज़ घोल नहीं पाया


उनकी अदा मुझे भा गई

मैं शांत देखता रहा, वों सब कुछ बड़ बड़ा गईं 


कमबख्त इश्क ही रहा होगा 

तभी उनकी गालियां भी पसंद आ गई ।।


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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