करे जो बात दिल से तो मोहब्बत हो जाएगी
नफरत भरी लहजे में बात किया करो
गुजरते हो उसके घर वाली गली से
दिख जाए कभी तो नजरे छिपा लिया करो
कोई मौका नहीं छोड़ता दिल तोड़ने में
कोई तुमसे भी ख़ूबसुरत मिला तो छोड़ जाएगी
मालूम है असलियत फिर भी इतना एहतराम क्यूं
विषकन्या है डंस लेगी डंसा है विष छोड़ जाएगी
संजोए हो जो मोहब्बत इतनी
छोड़ी जो मोहब्बत से नफ़रत हो जाएगी
बचा के रखो खुद को दुनियां के नजर से
इतने भोले भाले हो किसी की नजर लग जाएगी
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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