बुधवार, 14 सितंबर 2022

तेरा मेरा इश्क़

कोई तो वजह रही होगी भूलने की हमें 

बताओ न जरा हम भी सुन लें


इल्जाम लगाती हो कि चार से बात करते हैं

तो जाओ न जाओ हा हज़ार से बात करते हैं


वो गलती थी जो मेरी चाय तेरी चाय से टकरा गई थी

मिलना नही था, कमबख्त बारिश आ गई थी


पता नही था रूकी होगी तू, केपीयूसी के मोड़ पर 

नहीं तो निगाहें खुद चुरा लेता, जो तुझसे टकरा गई थी


बारिश का असर कुछ ऐसा हुआ था 

बात नही करना चाहता था, पर बात किया था 


नंबर भी पहले तुमने ही शेयर किया था

और इल्जाम भले तुम कितना ही लगाओ, मुझ पर

पर मोहब्बत में हाल बेहाल दोनों का हुआ था


मिलना जुलना मेरा तेरा रोज़ का था 

बंद गली का कोचिंग, मेरा साइकिल तेरा एक्टिवा स्कूटी था 


छात्रसंघ भवन पर जब कभी होता 

बुला लेती तू मिलने को सदा

भारद्वाज पार्क, मिंटो पार्क नहीं तो चौराहा अलोपी था


मेरे दोस्त मुझसे तेरा हाल पूछा करते हैं

जब भी मिलते हर बार पूछा करते हैं


कैसी हैं भाभी बताओं न भाई

छोड़ दी या छोड़ दिए, ख्याल पूछा करते हैं


मेरा तेरा दास्तां अधूरी क्यूं रह गई

मिलना और भी था, मिलन अधूरी क्यूं रह गई


तेरे सक की वजह से, मोहब्बत की बली चढ़ गई

वो शाम की मिलन, नैनी ब्रिज आखरी निशानी बन गई


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

मंगलवार, 13 सितंबर 2022

जन्नत की हूर

तेरी मौजूदगी मंजूर है

इस धारा पर तू कोई कोहिनूर है


तुझे ही पाना चाहते हैं सब लोग

तू असल में जन्नत की हूर है


कस के पकड़ मेरे हाथ को 

तू चल पड़ी रात को


सवेरा हो गया कब, पता नहीं

अब चाहती है कोई पकड़ ले

जिंदगी भर के लिए उसके हाथ को


मंजूरे खुदा कोई फैसला हो

और जो फ़ैसला हो मेरे पक्ष में हो 


मन्नत तो नही मांगी थी पर 

मांगू जो मन्नत मेरी मन्नत में तू हो 


और भूल कर अगर चाहने लगूं

तो मेरे चाहत मात्र तू हो 


कोई शायर लिखे जो मेरी दास्तां

तो लिखें मेरी जो हो वही जन्नत की हूर हो


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

थी आवाज भर, जो कभी सुकून

सजीव तस्वीर, वो नज़र, काजल, बिंदियां  कमाल की थी मुस्कुराता चेहरा, छिपी उसमें गुनेहगार भी थी दी थी जख्म, दर्द नहीं  कराह थी, शिथिल पड़े  एहस...