कोई तो वजह रही होगी भूलने की हमें
बताओ न जरा हम भी सुन लें
इल्जाम लगाती हो कि चार से बात करते हैं
तो जाओ न जाओ हा हज़ार से बात करते हैं
वो गलती थी जो मेरी चाय तेरी चाय से टकरा गई थी
मिलना नही था, कमबख्त बारिश आ गई थी
पता नही था रूकी होगी तू, केपीयूसी के मोड़ पर
नहीं तो निगाहें खुद चुरा लेता, जो तुझसे टकरा गई थी
बारिश का असर कुछ ऐसा हुआ था
बात नही करना चाहता था, पर बात किया था
नंबर भी पहले तुमने ही शेयर किया था
और इल्जाम भले तुम कितना ही लगाओ, मुझ पर
पर मोहब्बत में हाल बेहाल दोनों का हुआ था
मिलना जुलना मेरा तेरा रोज़ का था
बंद गली का कोचिंग, मेरा साइकिल तेरा एक्टिवा स्कूटी था
छात्रसंघ भवन पर जब कभी होता
बुला लेती तू मिलने को सदा
भारद्वाज पार्क, मिंटो पार्क नहीं तो चौराहा अलोपी था
मेरे दोस्त मुझसे तेरा हाल पूछा करते हैं
जब भी मिलते हर बार पूछा करते हैं
कैसी हैं भाभी बताओं न भाई
छोड़ दी या छोड़ दिए, ख्याल पूछा करते हैं
मेरा तेरा दास्तां अधूरी क्यूं रह गई
मिलना और भी था, मिलन अधूरी क्यूं रह गई
तेरे सक की वजह से, मोहब्बत की बली चढ़ गई
वो शाम की मिलन, नैनी ब्रिज आखरी निशानी बन गई
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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