कवि..
लिखी थी जो पंक्ति
अतिसुंदर थी
पंक्ति या देखी जो तस्वीर झरोखे से थी
मन को विचलित करती
अक्षर लख पुरस्कृत
गढ़ गढ़न चंचल चितवन
पंक्ति क्यूं संवरती चली गई
दृष्टि दया भावना से प्रेरित
सम्मान की बात करती
हठ योगिनी साधना
झटपट कसम दे गई
कई बात छिपाई
सुनाई भी त्याग दुनियां का नियम
मूल्य मौलिक यापन जीवन की
किरण थी बेला सुबह की
उठा के तप्त हो झरोखे से विलुप्त हो गई
मान रख अब तू
बेला हूं मैं
हर बार उतना ही लिख
जितना समझ
अक्षर चार, दो शब्द
एक वाक्य न हो, सब कुछ समझा तो दी ...
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शुक्रिया 💗