भटका दो ख़ुद को
अगर पग हो राह ए इश्क पर
न जागा करो रात भर
नहीं आयेगी, अब जिद्द न किया कर
है वो किसी और की
हुए हैं हर प्रयास विफल
तेरे लिए अब वो नही
कहीं और पर प्रयास कर...
सुकून ए इश्क में लिखी हर...
किसी की इश्क रही होगी
मुझे क्या, मालुम होगा
दर्द उसने जो सही होगी
लिखना महत्वपूर्ण है
दर्द ए गम भुलाने को
मेरा कोई वास्ता नहीं
शालीनता से कहता हूं इस ज़माने इश्क को...
लिखा है कई बार
छुपाया है
गम भले ही उसकी खुद की हो
किसी और की है, कह कर बताया है
अंजान है राही
मालुम पड़ता है
पर कैसे कहूं उसे अंजान..
जो हर विफलता पर, पुनः प्रयास करता है..
असीम कल्पना से परे
लिखी हर बात जान पड़ती है
छू तो जाएगी
दिल को, गूढ़ है ये रहस्य
छाया ए प्रेरण में पली बढ़ी
सरल शब्द पर स्पष्ट दास्तान बयां करती है...
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शुक्रिया 💗