कई बार
उसने वचन तोड़ी..
पर महबूब ने अपनी कसम क्या दी,
उसने वचन तोड़ना भूल गया..
कि
लगन कैसी है ये इश्क की
न टिकने वाला जरा भी अपनी बात पर
वो न तोड़ा अभी तक वचन
महबूब ने जिस बात पे दी थी अपनी कसम ...
सजीव तस्वीर, वो नज़र, काजल, बिंदियां कमाल की थी मुस्कुराता चेहरा, छिपी उसमें गुनेहगार भी थी दी थी जख्म, दर्द नहीं कराह थी, शिथिल पड़े एहस...
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शुक्रिया 💗