शुक्रवार, 10 मई 2024

उसी शहर की वो मासूम शख़्स

राहे इश्क में बहुत आएंगी परेशानियां मगर

तुम इसे हंस के टाल देना


मालुम है, न


लगी हो आग अगर दिल में 

तो बुझाने कोई दमकल नही आता 


बात वही है कि जान जाए भले

पूछने अपना भी शहर नही आता 


उसी शहर की वो मासूम शख़्स 

जरा सी बात पे गुस्सा


कमतर समझ जो

बेहतर की तलाश में निकल जाता 


शहर दर शहर जल गए कई बार

कोई ख़बर न रखा 


तुम तो गांव के आशिक़ 

तेरा कौन शहर में, जो तुझे देखने आता ...

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