इख्तियार एक सनम चाहिए था
वज्र हक कि जरुरत था कायदे में
गुंजाइश था करता तकल्लुफ़ वो
वहम करता था सिर्फ एक सनम के लिए
कई इनायते थी मगरूर था वो
कर्ज था सर, गुमान हुस्ने बाहार का
कर रहा इत्ला इश्क हुनर का वो
कि इंतजार था सिर्फ एक सनम के लिए
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
बहुत अच्छे
जवाब देंहटाएं