बुधवार, 26 मई 2021

विवाद है सिर्फ़ नाम को लेकर हिंदू है या मुसलमान को लेकर

 !! विवाद है सिर्फ़ नाम को लेकर 

हिंदू है या मुसलमान को लेकर !!


नाम है खान सर या फ़जल खान सर 

विवाद बढ़ गया तब जब जिद्दी बन गये छत्रगण 

मजाक-मजाक मे वो फ़िर बोल बैठे 

बैंक वाले बुलाते है अमित सिंह सर


चला ट्रेंड ट्विटर पर फ़िर 

विवाद बढ़ रही थी खान सर पर फ़िर 

जबकि किये है कई किताबे लांच वो 

हो सेलेक्सन तुम्हारा, हिन्दी-उर्दू मे खान सर


विवाद है सिर्फ़ नाम को लेकर 

हिंदू है या मुसलमान को लेकर


किसी तस्वीर मे दिखते हिन्दू भेष में 

कई तस्वीर में दिखते मुस्लिम भेष में 

बँधवाते रक्षाबन्धन के दिन रखी वो 

कभी दिखते मानाते ईद मोहर्रम वैशाखी वो


नाम से बदनाम किये है उनको वो 

बाँटे शिक्षा जो और निष्पाप किये है जो 

क्यूँ दिखाये टिकट ड्राइवर को वो 

देखे वो जिसका काम है जो हो टी.टी वो


विवाद है सिर्फ़ नाम को लेकर 

हिंदू है या मुसलमान को लेकर


एक पत्रकार महोदय कुरान पूछ बैठे 

शुरूआत कँहा से होती वो सुना बैठे 

''बिस्मिल्लाह रहमान रहीम अल्हम्दुलिल्लाह ''

चेहरे का उतर गया फ़िर पानी उनके 

खान सर को सुनते, मुह बना बैठे


करने दो मुझे, मेरा काम है जो 

शिक्षा का वितरण करना अनिवार्य है जो 

मै भारतीय हूँ , भारतीय ही रहने दो 

मेरा जाति है शिक्षा, धर्म है अध्यापक वही रहने दो


विवाद है सिर्फ़ नाम को लेकर 

हिंदू है या मुसलमान को लेकर


करते तुलना स्वयं को राहुल गांधी से वो 

दस सेकेण्ड का वीडियो करता है बदनाम जिसको 

''इस साइड से आलू डालो ,

 उस साइड से सोना निकालो ''आपका था 


मेरा भी कुछ ऐसा ही.. 

''अब्बा तो पन्चर साटिये रहे हैं, 

तु लोग भी पन्चर सटियेगा'' 

'' नही तो बडा़ होकर चौराहे पर

मीट काटिये गा'' करता बदनाम था


विवाद है सिर्फ़ नाम को लेकर 

हिंदू है या मुसलमान को लेकर


चोर को चोर न कहे, 

डकैत को डकैत न कहे तो क्या कहे 

क्यो फ़ैलाते हो झूठ इतना आप लोग कि, 

झूठ को भी लोग अब सत्य कहे 


मेरा भी सीता माँ जैसा हाल हुआ

जो बनवास काटी, लंका दहन देखा फ़िर 

देना होगा अग्नि परीक्षा नहीं था सोचा 

कहती फ़िर कि हे धरती माँ खुद मे मुझको समा ले जा


विवाद है सिर्फ़ नाम को लेकर 

हिंदू है या मुसलमान को लेकर


मुझको भी लगता भुल जाउ सब कुछ 

मुसलसल  यू ट्यूब को छोड़ ,

अलविदा कह जाउ सब कुछ 

मै तो मात्र एक अध्यापक था 

नहीं पता था एक दिन ये भी देखूँगा सब कुछ


बयाँ ये दर्द करता हूँ ,आँख मे आँसू है 

नहीं था जख्म जहाँ, खून वही का प्यासूँ है 

जो देते थे अब तक साथ मेरा,

वही मेरे खून के आज पिपासूँ है


विवाद है सिर्फ़ नाम को लेकर 

हिंदू है या मुसलमान को लेकर


#बेढँगा_कलमकार 

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

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