बुधवार, 5 मई 2021

!!बेदर्द इंसान!!

 दिल तोड़ कर मेरा 

वो हँस रही है 

हम मातम मे है पिरोये 

वो जस्न कर रही है 

आसुँओ के बहने का 

है कैसा सिलसिला

उसे लगता नहीं है कि 

उससे कोई गुनाह हो रही है


कि 

पड़ता नहीं फ़र्क उसे 

वो तो खुद्दार निकली 

वो है पत्थर दिल दर्द होता नहीं 

वो तो बेदर्द इंसान निकली


#बेढँगा_कलमकार ✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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