सोमवार, 3 मई 2021

!!दिल को समझ बैठे वो कोई चौराहा !!

 #बेढँगा_कलमकार 

दिल को समझ बैठे वो कोई चौराहा 

आते हैं जाते हैं, ठहरना नहीं आता 

अब तो गमो कि भीख मांगी नहीं जाती 

समझ लो भिख गमो का यु मिल जाता


अब और क्या करना , वो जो कर बैठे हैं 

दिल का गम दे कर वो भुल बैठे हैं 

गुजारा अब न होता है,  चली आओ 

नदियाँ भी अपना रास्ता भुल बैठे हैं


चलती है हवा जो बगीचे मे 

अच्छा नहीं लगता 

है गर्म इतना कि बदन भी नहीं सहता 

तेरे ही ख्यालो मे खोया रहता हूँ 

न भूल सकता हूँ,  न भूल पाया हूँ


दिल को समझ बैठे वो कोई चौराहा 

आते हैं जाते हैं, ठहरना नहीं आता


तेरा हँसना और  मुस्कुराना 

बहुत अच्छा लगता था 

पर अब दूसरो के साथ 

मुस्कुराना अच्छा नहीं लगता


जब मै गमो मे बैठ कर कोई सेर लिखता हू 

समझ जाती है कि कोई दूर चला गया 

वो दौड़ी चली आती है दर्द को बांटने 

लगता है जैसे हो कोई प्राण प्रिया


दिल को समझ बैठे वो कोई चौराहा 

आते हैं जाते हैं, ठहरना नहीं आता


#बेढँगा_कलमकार 

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

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