राह चलता पथिक भी न हो हैरान
जिस्म को अलविदा कह देता है वक्त
होगे सिन्घासन पर तु ही न हो हैरान
असल में ये तेरी चाल है
पता है हमे तेरा क्या ख्याल है
चल अब मुद्दे की बात कर
और बता तेरा क्या सवाल है
ये दस्तूर है नाराज न हो
यकीनन उससे हैरान न हो
रहने दे उसे इंसान ही
इंसान है , भगवान न कह ..
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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