हो जाती है खामोश वो,
तब सिने मे ही दफ़न कर लेता हूँ
हर लब्ज
हो जाती है आफ़लाइन वो,
तब दिल में ही दफ़न कर लेता हूँ
हर लब्ज
मैसेज के प्राप्त होते ही वो,
जब होती है आनलाइन,
तब समझ जाती है वो,
हर लब्ज
बताने लगती है प्राणप्रिय
बोल देती है फ़िर वो,
हर लब्ज
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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