किसी से बात करना बहुत अच्छा लगता है
किसी के साथ हंसना बहुत अच्छा लगता है
दोस्त हो या फिर हो वो प्यार , मोहब्बत
बिछड़ जाए जो वो , जनाजे इश्क सा रोता है
बस कुछ बात ही तो हुई थी
दिल लगा था दिदार ही तो हुई थी
नहीं पता क्या हुई थी खता हमसे
बिछड़ गई वो हमसे ,
बात किए
सुबह से शाम ही तो हुई थी
जाने किस बात का घमंड करती थी
मोहब्बत करती थी फिर भी नज़रंदाज़ करती थी
दहलीज के हर बुलंदी को छु चुकी थी
बात करती थी फिर भी इंकार करती थी
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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