फ़रिश्ते तो बहुत देखे है जिंदगी में
पर आप जैसा फ़रिश्ता नहीं देखा
जो आयी तो जिन्दगी मे मेरे
पर गयी तो पुरा चैन करार ले गयी
मनता हूँ , मजबूरी होती है
पर इतना भी नहीं
कि बात करना छोड़ दो
कह क्यूँ नहीं देती
कि मिल गया है दूसरा कोई
मुझे एतराज नहीं होगा
पर एसी भी क्या मजबूरी थी
कि सत्य बोलना छोड़ दो
हा पता है हमे कि भुलना पड़ेगा तुम्हें
तो क्या प्यार करने से पिछे हट जाउ
अरे जला - तपा हूँ, इतने दिनों से
अब कहती हो छोड़कर चला जाउ
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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