सोमवार, 5 जुलाई 2021

लिख दूं ग़ज़ल , चर्चा सारे बाज़ार में होगी

 लिख दूं ग़ज़ल जो तो 

तेरे नाम कि चर्चा सारे बाज़ार में होगी 


आए जो हैसियत कि बात 

मांग लूं हक अपनी नाराज़ तो न होगी 


मेरी चाहत है सैफई तुझको है मालुम 

तो इस चाहत का कारोबार तो न होगी 


इत्तेफाक से तेरे न होने से है फ़ायदा 

मेरे बाप कि जायदाद नीलाम तो न होगी


दरअसल बात ऐसी है आए हालात मुश्किल 

मिल जाएगी निजात जो नाम तेरा न होगी


जब कभी भी चांद तारों कि बात आएगी 

आसान होगा कहना जो तू मेरी चांद न होगी


लिख दूं ग़ज़ल जो तो

तेरे नाम कि चर्चा सारे बाज़ार में होगी


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

शुक्रिया 💗

थी आवाज भर, जो कभी सुकून

सजीव तस्वीर, वो नज़र, काजल, बिंदियां  कमाल की थी मुस्कुराता चेहरा, छिपी उसमें गुनेहगार भी थी दी थी जख्म, दर्द नहीं  कराह थी, शिथिल पड़े  एहस...