लिख दूं ग़ज़ल जो तो
तेरे नाम कि चर्चा सारे बाज़ार में होगी
आए जो हैसियत कि बात
मांग लूं हक अपनी नाराज़ तो न होगी
मेरी चाहत है सैफई तुझको है मालुम
तो इस चाहत का कारोबार तो न होगी
इत्तेफाक से तेरे न होने से है फ़ायदा
मेरे बाप कि जायदाद नीलाम तो न होगी
दरअसल बात ऐसी है आए हालात मुश्किल
मिल जाएगी निजात जो नाम तेरा न होगी
जब कभी भी चांद तारों कि बात आएगी
आसान होगा कहना जो तू मेरी चांद न होगी
लिख दूं ग़ज़ल जो तो
तेरे नाम कि चर्चा सारे बाज़ार में होगी
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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