पर आज अंधियारों ने जब्त कर रखा है
बादल के बरसने का रुख जानना था
जो आज मुस्कुराहटों को जब्त कर रखा है
कमबख्त अभी तक अंजान थे जो
वो मेरे हक कि बात करते हैं
और कई अरसों से मुस्कुराए नहीं थे जो
वो भी मुस्कुराने कि बात करते हैं
मालूल है क्या , हल उसका
जो अभी तक कोई सुझाया नहीं
और क्या बात खटक रही है मन में उसके
जो अभी तक मुस्कुराया नहीं
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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जवाब देंहटाएंThanxx����
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