गुरुवार, 12 अगस्त 2021

अपनी निगहो से जो चोट की थी दिल पर

एक अरसे से कोई खत न कोई संदेश आयी 

दहक रहा है दिल अग्नि सा कैसी है वो रोग लगायी 

और अपनी निगहो से जो चोट की थी दिल पर 

आज वो चोट फ़िर से है उभर आयी


दर्द स्पष्ट झलक रहा है उसके चेहरे पर 

चोट गहरा है, इलाज नही है शहर भर 

तापमान बढ़ रहा है उसके बदन का 

और जलमग्न हो रहे हैं पूरे की पूरे शहर


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

गुरुवार, 5 अगस्त 2021

कैसे मनाऊं दिल को जो आज भी याद आते हैं

खूब सूरत वो पल आज भी याद आते हैं 

वो तस्वीर वो बीते कल आज भी याद आते हैं

खुदा से मन्नत में ख्वाहिश तो बहुत की 

पर मिली न वो मन्नत जो आज भी याद आते हैं


गुजरते जा रहे है एक एक पल 

बीते कल में सब तब्दील होते जा रहे हैं 

रोके रुके न , करू प्रयास असफलता हाथ आते 

कैसे मनाऊं दिल को जो आज भी याद आते हैं


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

झूठा ही सही , पर एक बार इकरार तो कर लेती

मेरी मोहब्बत को एक बार पहचान तो लेती 

इश्क बेपनाह था , एक बार मान तो लेती 

मै शायर बन बंजारा बन गया था 

झूठा ही सही , पर एक बार इकरार तो कर लेती


मंजिल पता था , और मैं डरता रहा 

राह पता था , और मैं ठहरता रहा 

पता नहीं कैसा नशा था , इश्क का 

कि इश्क सामने था , और मैं भटकता रहा


आज मौसम ठंडा हैं , फिर भी गर्म है बदन 

हुआ क्या है, कोई तो बताएं

इश्क हुआ हो तो क्यों है भरम

कोई शायर हो तो आज इश्क जताएं


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

थी आवाज भर, जो कभी सुकून

सजीव तस्वीर, वो नज़र, काजल, बिंदियां  कमाल की थी मुस्कुराता चेहरा, छिपी उसमें गुनेहगार भी थी दी थी जख्म, दर्द नहीं  कराह थी, शिथिल पड़े  एहस...