वो इलाहाबाद की गंगा होती
तो मैं भी उसका घाट हो जाता
गर्मी को भी हंस के सह लेता
भले पारा सौ के पार हो जाता
बिजली ने दिल तोड़ दिया
तो सब ने पसीना छोड़ दिया
जनरेटर पर भरोसा था
तो डीजल ने रिकॉर्ड तोड़ दिया
गर्मी में निकलना सपना हो गई
इग्लू , इस्पात कारखाना हो गई
सोनम तो बेवफा थी ही
पर जोगी की बिजली भी बेवफा हो गई
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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