जो मेरी तेरी बाते होती हैं
उसे मोहब्बत का नाम दे दूं क्या
बहुत चिढ़ाते हैं लोग मुझे
क्या कहती हो शादी कर लूं क्या
आज से नही स्कूली संगत से
अच्छा था, ख़ुद को बिगाड़ दू क्या
सफ़ाई देने के बावजूद मानते नही दोस्त
क्या कहती हो दोस्ती खराब कर लू क्या
मेरी एक बात मानोगी क्या
मुझसे नाराज रहोगी क्या
जो तेरह लोगों से नयन मटक्का करती हो
इसी का कारोबार करोगी क्या
तुम्हे मुझसे अब कोई इश्क नहीं है
रुको मर जाऊं क्या
चुप एक सावल भी नहीं
जहर का प्याला है गटक जाऊ क्या
सुना हू कल सुसाइड नोट लिख रही थी
दिल तोड़ दिया क्या
अरे वाह मतलब जैसे को तैसा मिल गया
इस्तेमाल करके छोड़ दिया क्या
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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