सोमवार, 4 अप्रैल 2022

हर तरफ़ अंधेरा है, उजाला कौन ले गया ।। बताओं भला, मेरा दीवाना कौन ले गया

हर तरफ़ अंधेरा है, उजाला कौन ले गया 

भूख लगी है, मेरा निवाला कौन ले गया

ढूढने निकला हूं, भटक रहा हूं दर बदर

बताओं भला, मेरा दीवाना कौन ले गया


गलत हो गया है, कहना किसी से 

जिक्र किसी का, करना किसी से

लूट ले जा रहे हैं, शहर को मेरे 

फूल , कली, मधुकर कही के


सोच समझ कर हैरान है दिल 

पागल मजबूर परेशान है दिल

नाजुक है सम्हाले न सम्हाले

सबके नज़र में बदनामा है दिल


अतुरो के भेट चढ़ गया है वो

रहकर शहर में बदल गया है वो

सुन कर भी कर देता है अनसुनी

कुछ अजीब सा हरकत करने लगा है वो


आसुओं को सम्हालने की आदत हो गई 

गजब है, अब वो रोना भुल गई

कल तलक जो नही रह पाता था, बिन उसके 

अब उसे अकेले जीने की आदत हो गई ।।


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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