शनिवार, 18 जून 2022

दिल दिल्ली में, दिलदार इलाहाबाद में बैठा है

कुछ दर्द तो है दिले, तनहा नही जिया जाता

कोई ख़बर दे आओ उन्हें, अब नही रहा जाता 


बड़े दिन हो गए है बात किए कुछ गुफ्तगू हो जाएं

ठंडी हो जाएगी चाय, कुछ चुस्कियां ले ली जाएं 


बड़े अरमान हैं दिल में, बताए तो शर्माना नही 

इंकार करना रहे तो मुस्कुराना नही 


हां, मुस्कुराहट को कोई प्यार समझ बैठा है

तेरा मुस्कुराना, इकरार समझ बैठा है


बीत जाता है उसके दिन किसी तरह

रात में चैन नहीं, नींद हराम कर बैठा है


बात मसलन ऐसी की बता नहीं सकता है

बाज़ीगर था हार गया आप पे, दिल लगा


दिल दिल्ली में, दिलदार इलाहाबाद में बैठा है

प्यारी गुड़ीया से प्यार, हाए दिल लगा बैठा है


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

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