सारी दर्द काट दी, तुम न आए अकेले हैं
बात करती थी, दिल न लगाए अकेले हैं
दुआ करता रहा मिलने की,
तुम मिलने न आए, हम अकेले हैं
मीलों का सफ़र है, थकना न ऐ जिंदगी
बड़ी सिद्दत से चाहा है, गुमना न ऐ जिंदगी
अपनी अता से बातें करता हूं
हाथ छोड़ते न तो खोता न ऐ जिंदगी
कोई इश्क था, मिला नही
इंतजार तो है, आज भी करता
कहने को तो बहुत कुछ है
पर छोड़ो, जाने दो, अब कहना नही
भूल था, जो कबूल किया
दिल भी मानता है, बड़ा भूल किया
मुर्शद, होश उड़ गए हैं आज
भरी महफ़िल में, जो उसने सलूक किया
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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