किसी की आखें नसीली थी
चेहरे पर परदा था
कोई है खूबसूरत सी
एक दिन देखा था
मांगा था दुआ में
खुदा ने दुआ कबूला था
कोई शर्त न था
जैसी थी वैसे ही चाहा था
मुकम्मल बातें, मुलाकाते होती
ऐसा सबको लगता था
पर सारी बाते जो थी
मात्र रात्रि की एक सपना था
#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)
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