शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

कैसी है ये मोहब्बत , किससे हैं प्यार किए

तेरे इश्क में आबाद हुएं बर्बाद हुएं 

लूटें है फिर भी दिल तेरे नाम किए

आज देकर ज़ख्म भले तुम भूल गए 

पर हम तो हर रोज़ , तुम्हें हैं याद किए


आज तेरे नाम एक खत लिखे 

खत को प्रेषित तेरे पते पर किए

पर हद तो तब हो गई

जब पता चला , पता गलत कर दिए


समझ गए हम भी अब अंजान हुए

गलती है जो कुछ दिनों से न बात किए 

अब संदेश भी गलत जगह पहुंचती है 

कैसी है ये मोहब्बत , किससे हैं प्यार किए


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

मंगलवार, 20 जुलाई 2021

ख़ामोशी छायी है कैसे, ज़िन्दगी तेरे उल्फत में

ख़ामोशी छायी है कैसे ,जिन्दगी तेरे उल्फत में

नज़र आती नहीं कैसे, कामयाबी तेरे उल्फत में

ज़िन्दगी जो मेहनत करके बितायी थी उसने तो

आज फ़िर 

ख़ामोशी छायी है कैसे, ज़िन्दगी तेरे उल्फत में


कुछ तो सुझाव दे ,कहीं भ्रम तो नहीं है 

और जिसे कामयाबी समझा, बहम तो नहीं है 

उसे और पसीने नहीं बहाने पड़ेंगे , तो बता दें 

आज फ़िर 

ख़ामोशी छायी है कैसे, ज़िन्दगी तेरे उल्फत में


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

रविवार, 18 जुलाई 2021

उजाले को क़ायम कर इतिहास बनाना है

अब इश्क नहीं, कुछ और भी लिखना है 

मंजिल कि तलाश में , घर से निकला हूं

लोगों का क्या , उन्हें जो कहना है कहें 

मैं तो अब खायी है कसम , 

तो उस सपने को पूरा करना है 


मेरे लिए क्या दुआ , क्या किस्मत 

बस हाथों का सहारा है उनके 

जो जन्म दे , पाल-पोष कर 

इतनी शिद्दत से साँचे में ढाला है 


मेरे पास बस मेहनत है जो हाथ में मेरे 

दृढ़संकल्प , दृढ़विश्वास है ताज़ ये मेरे 

आंधियों से लड़कर एक दीपक जलाना है 

उजाले को क़ायम कर इतिहास बनाना है


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

बुधवार, 14 जुलाई 2021

हे ख़ुदा ! यही एक आरजू मेरी भी पूरी कर दे

इश्क लिखने का कोई शौक नहीं था 

लिखता था क्यूं कि उससे इश्क था 

कोई ज़ोर जबरदस्ती थोड़े है उससे 

जब उसे मुझसे कोई इश्क नहीं था


मैं अंधेरे को रोशनी मानकर जी लूंगा 

पर वो उजाले में ही जीए

मैं भले नाकाम निठल्ला ही रहूं 

पर दुआ है ख़ुदा से कि वो हर बुलंदी को छुए


उसकी हर आरज़ू पूरी हो ख्वाहिशें हैं मेरी 

उसे वो सारी कामयाबी मिले 

जिसके है ख़्वाब पिरोए 

और जहां भी रहे वो खुश रहे 

हे ख़ुदा ! यही एक आरजू मेरी भी पूरी कर दे


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

शनिवार, 10 जुलाई 2021

ख़्वाब में आई मात्र एक शायरी थी

कुछ लिखने को दिल किया

तो लिख दिया 

मुझे इश्क बेहतर लगा तो 

इश्क कर लिया 


उसे अच्छा नहीं लगा 

तो बेशक इंकार कर देती 

 

मैं शिकायत भी न करता

और कोई दबाव भी न देता

चाहे भले सरे बाजार 

या फिर मुझे बर्बाद कर देती 


पर 

उसे रात में नींद नहीं आई 

तब पता चला कि 

उसे किसी चीज़ कि जरूरत थी 

और फ़िर बाकायदा अख़बार में छप गई  

कि वो चीज़ है इश्क 

जो उसे भी जरूरत थी


पर मै क्या जानू 

कि क्यूं रात भर बातें 

वो करती रही

और समय का परवाह भी न की और समय बर्बाद करती रही 


और रूठ भी गई 

बोलना भी बन्द कर दी

फ़िर पुनः अख़बार में छप गई 

कि वो ख़्वाब में आई मात्र एक शायरी थी


#बेढँगा_कलमकार

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

गुरुवार, 8 जुलाई 2021

कलम-ए-इश्क

अब कलम-ए-इश्क कुछ लिखती नहीं 

कोई तो तकलीफ़ है जो चलती नहीं 

उसके रूठने कि ख़बर सुर्खियों में हैं 

हा फ़िर क्यों 

अभी तक ये ख़बर अख़बार में छपती नहीं


मैं तो चाहता था जानना पर वो बोलती नहीं 

दर्द गहरी है तभी कलम-ए-इश्क उकेरती नहीं

जो चार दिन पहले दिन-रात कान घोलती थी 

हा फ़िर क्यों 

आज दिल है जख्मी वो राज़ खोलती नहीं


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

मंगलवार, 6 जुलाई 2021

जब्त-ए-मुस्कुराहट

मैं रोशनी को सज़ा कर रखता था कभी 
पर आज अंधियारों ने जब्त कर रखा है 
बादल के बरसने का रुख जानना था 
जो आज मुस्कुराहटों को जब्त कर रखा है

कमबख्त अभी तक अंजान थे जो 
वो मेरे हक कि बात करते हैं 
और कई अरसों से मुस्कुराए नहीं थे जो
वो भी मुस्कुराने कि बात करते हैं

मालूल है क्या , हल उसका 
जो अभी तक कोई सुझाया नहीं 
और क्या बात खटक रही है मन में उसके 
जो अभी तक मुस्कुराया नहीं

#बेढँगा_कलमकार
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

सोमवार, 5 जुलाई 2021

लिख दूं ग़ज़ल , चर्चा सारे बाज़ार में होगी

 लिख दूं ग़ज़ल जो तो 

तेरे नाम कि चर्चा सारे बाज़ार में होगी 


आए जो हैसियत कि बात 

मांग लूं हक अपनी नाराज़ तो न होगी 


मेरी चाहत है सैफई तुझको है मालुम 

तो इस चाहत का कारोबार तो न होगी 


इत्तेफाक से तेरे न होने से है फ़ायदा 

मेरे बाप कि जायदाद नीलाम तो न होगी


दरअसल बात ऐसी है आए हालात मुश्किल 

मिल जाएगी निजात जो नाम तेरा न होगी


जब कभी भी चांद तारों कि बात आएगी 

आसान होगा कहना जो तू मेरी चांद न होगी


लिख दूं ग़ज़ल जो तो

तेरे नाम कि चर्चा सारे बाज़ार में होगी


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

रविवार, 4 जुलाई 2021

छीन न खुशी, मेरे प्यार की

मेरा गुनाह बस इतना था कि 

वो जानती थी

मोहब्बत है उससे यह बात 

वो मानती थी 

हा कुछ समाज का 

लिहाज़ करती थी 

नही तो इजहार करना 

वो भी जानती थी


हा वो करती है अब भी दुआ ख़ुदा से

मिल जाएं वो अगर हो नसीब में 

चाहे दे दे सज़ा उम्र कैद का 

पर छीन न खुशी मेरे प्यार की


#बेढँगा_कलमकार 

#प्यारी_गुड़िया (A) 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

शनिवार, 3 जुलाई 2021

कि वो मेरे लिए , देशी शराब थी

मुझे हज़ार नहीं एक कि तलाश थीं

और वो है आज भी , जो बेमिसाल थी

पर तोड़ रहा हूं आज उससे रिश्ता 

पूछेगी क्यूं , दे दूंगा ज़वाब 

कि तू मेरे लिए , खास नहीं थी


दर्द होगा पर भविष्य के लिए अच्छा होगा

नहीं तो हो जाएगी आदत उसकी 

मैं तब उसके बिन नहीं जी पाऊंगा

फ़िर मुझे लिखना पड़ जाएगा 

कि वो मेरे लिए , देशी शराब थी

#बेढँगा_कलमकार 

#प्यारी_गुड़िया (A)

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

थी आवाज भर, जो कभी सुकून

सजीव तस्वीर, वो नज़र, काजल, बिंदियां  कमाल की थी मुस्कुराता चेहरा, छिपी उसमें गुनेहगार भी थी दी थी जख्म, दर्द नहीं  कराह थी, शिथिल पड़े  एहस...