शुक्रवार, 25 जून 2021

उसका दिल भी मेरे नाम से धड़कता था

मेरे मेहनत के पसीने में 
वो खुशबू थी 
जो मेरी तक़दीर गढ़ रही थी
और मेरे शरीर के ताप में 
वो फ़जा थी 
जो मुझसे इश्क कर रही थी

तक़दीर ऐसी थी कि
कामयाबी आसमान छू रही थी
और फज़ा ऐसी थी कि
इश्क बेइंतहा प्यार कर रही थी

मै भी मर मिटा था अब उसपे 
उसकी एक एक मैसेज का इंतजार करता था
वो भी करती थी प्यार इतना 
कि उसका दिल भी मेरे नाम से धड़कता था

#बेढँगा_कलमकार
✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

गुरुवार, 24 जून 2021

इश्क-ए-यूपीएससी

 कि अब इश्क-ए-यूपीएससी का जुनून है 

और उनसे मोहब्बत भी भरपूर है 

कि कर लिया है वादा हाथ थामने का 

बस अभी वो ख़्वाब ही , केवल दूर है


कि अब लगा लेनी है लत उसकी 

वो ही मंज़िल और मोहब्बत है मेरी 

कि इश्क-ए-यूपीएससी का जुनून है 

अब वही ख़ुदा और जन्नत है मेरी


कि उस ख़्वाब को , पूरी करनी है

दिल के हर जज़्बात को, पूरी करनी है

कि किया है वादा जो ख़ुद से

हर उस बात को , पूरी करनी है


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

बुधवार, 23 जून 2021

दरकिनार करना चाहती है

किसी को दरकिनार कैसे करूं

दिल तोड़ कर इंकार कैसे करूं

अब इश्क हो गई तो हो गई

अब उसको नज़र अंदाज़ कैसे करूं


कि मोहलत मांगती है वो इश्क के लिए

फ़िर हाथ बढ़ाती है वो दोस्ती के लिए

एहसास हुआ है उसे अकेलेपन का तो 

मै भी मर मिटा हूं अब दोस्ती के लिए


कि आजाद उड़ना चाहती है वो 

इश्क को सरे बाज़ार करना चाहती है वो

कि अब दिल भर गया है मुझसे तो

दरकिनार करना चाहती  है वो


#बेढँगा_कलमकार 

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

शनिवार, 19 जून 2021

मेरे बापू

सोच रहा हूँ ये दुनिया 

क्यूँ इतनी सजा देती,  

जिन्हें ज्यादा चाहते है, 

उन्हें ही क्यूँ छिन लेती है.


मेरे बापू


आप स्मृति बन गये,  

मेरे चाहतो का 

कभी स्वप्न में 

आओ तो सही, 

अब मुश्किले 

और भी बढ़ गयी है 

आकर थोड़ा मुस्कुराओ तो सही,

 

कभी जो आप ने 

राह दिखाई थी 

ऊँचाइओ को पाने के  

अब तो राह और भी 

दुर्लभ हो चुके है, 

मुश्किले और भी 

बढ़ गयी है 

वहाँ पहुंच पाने के 


आप की वो बातें

हमे आज भी याद है 

मेरा सवाल पुछ्ना,  

आप का समझाना 

मेरा बहकना,  

आप का टोकना 

पर अब कौन बतायेगा, 

ये भी समझाओ तो सही 

आकर थोड़ा मुस्कुराओ तो सही 


बचपन मे आप का,

हमे साइकिल से 

स्कूल में पहुंचाना 

मै रोता था और 

आप का टाॅफ़िया 

देकर मनाना

क्यूँ छोड़ गये 

बिना ही मिले, 

बताओ तो सही 

आकर थोड़ा मुस्कुराओ तो सही 


आप का खेतों में जाना, 

सब्जियों के खेतों से 

घासो का निकालना 

कृषि कार्य मे रही 

त्रुटियों ,  को बताना 

अब कौन बतायेगा, 

समझाओ तो सही 

आकर थोड़ा मुस्कुराओ तो सही


#बेढँगा_कलमकार 

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

सोमवार, 14 जून 2021

प्यार करता हूँ यार, बर्दाश्त नहीं होती

नाराज हो ना, बात क्यूँ नहीं करती 

इंतजार करता हूँ यार , नींद भी नहीं आती 

कोई गलती हुई हो, तो बता दो ना 

प्यार करता हूँ यार, बर्दाश्त नहीं होती


क्या तुम चाहती हो, मै रात भर रोउ 

कुछ तो ख्याल करा करो यार.. मेरा भी 

दिन-रात तुम्हारे ही सपने देखता हूँ 

प्यार करता हूँ यार, बर्दाश्त नहीं होती


मैसेज करता हूँ, सीन भी हो जाती है 

रिप्लाई भी नहीं करती हो, रीड भी हो जाती 

ऐसा क्या किया हूँ यार..जो दुख दे रही हो 

प्यार करता हूँ यार, बर्दाश्त नहीं होती


अरे यार, झगड़े बात कर के सुलझा लेते हैं ना 

एक मौका तो दे सकते हो यार.. मना लेते हैं ना 

नहीं रहना है साथ तो, हम ही दूर चले जाते हैं 

पर प्यार करता हूँ यार, बर्दाश्त नहीं होती 


#बेवफ़ा_सनम 

#बेढँगा_कलमकार

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

शनिवार, 12 जून 2021

एक मैसेज(#बेवफ़ा_सनम्)

 आज की शाम रंगीन होगी कि नहीं 

हमे फ़र्क नहीं पड़ता 

फ़र्क तो बस उससे पड़ता है कि

तुम मेरे साथ नहीं हो 

रोने का भी दिल करे तो क्या फ़र्क पड़ता है 

फ़र्क तो तब पड़ता है जब आँखो से 

आँसूओ कि बरसात न हो


#बेवफ़ा_सनम 


सारी बात बिगड़ जाती है 

मैसेज से 

सारी रात बीत जाती है 

मैसेज से 

अजीब लगाव है ये दुनिया तुझसे 

बात बिगडे़ या फिर रात बीते 

फ़िर भी इंतजार रहता है 

एक मैसेज के

#बेवफ़ा_सनम 


बस शुरू कैसे करू.. यही बात

उसे सताती थी 

दिल्लगी की थी उसने.. यही बात 

उसे सताती थी 

न करता वो एक भी मैसेज..

वक्त बितता जा रहा था 

बस यही इंतजार.. 

उसे सताती थी 

...क्यूँ...


#बेढँगा_कलमकार

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

पुरा चैन करार ले गयी

 फ़रिश्ते तो बहुत देखे है जिंदगी में 

पर आप जैसा फ़रिश्ता नहीं देखा 

जो आयी तो जिन्दगी मे मेरे 

पर गयी तो पुरा चैन करार ले गयी 


मनता हूँ , मजबूरी होती है 

पर इतना भी नहीं 

कि बात करना छोड़ दो 

कह क्यूँ नहीं देती 

कि मिल गया है दूसरा कोई 

मुझे एतराज नहीं होगा 

पर एसी भी क्या मजबूरी थी 

कि सत्य बोलना छोड़ दो


हा पता है हमे कि भुलना पड़ेगा तुम्हें 

तो क्या प्यार करने से पिछे हट जाउ 

अरे जला - तपा हूँ, इतने दिनों से 

अब कहती हो छोड़कर चला जाउ 


#बेढँगा_कलमकार 

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

शुक्रवार, 11 जून 2021

बात करती थी फिर भी इंकार करती थी

 किसी से बात करना बहुत अच्छा लगता है 

किसी के साथ हंसना बहुत अच्छा लगता है 

दोस्त हो या फिर हो वो प्यार , मोहब्बत 

बिछड़ जाए जो वो , जनाजे इश्क सा रोता है


बस कुछ बात ही तो हुई थी

दिल लगा था दिदार ही तो हुई थी

नहीं पता क्या हुई थी खता हमसे

बिछड़ गई वो हमसे , 

बात किए

सुबह से शाम ही तो हुई थी



जाने किस बात का घमंड करती थी 

मोहब्बत करती थी फिर भी नज़रंदाज़ करती थी 

दहलीज के हर बुलंदी को छु चुकी थी

बात करती थी फिर भी इंकार करती थी


#बेढँगा_कलमकार

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

गुरुवार, 10 जून 2021

इंसान है , भगवान न कह ..

जुनुन है कि मुकम्मल हो हर काम 
राह चलता पथिक भी न हो हैरान 
जिस्म को अलविदा कह देता है वक्त 
होगे सिन्घासन पर तु ही न हो हैरान

असल में ये तेरी चाल है 
पता है हमे तेरा क्या ख्याल है 
चल अब मुद्दे की बात कर 
और बता तेरा क्या सवाल है

ये दस्तूर है नाराज न हो 
यकीनन उससे हैरान न हो 
रहने दे उसे इंसान ही 
इंसान है , भगवान न कह ..

#बेढँगा_कलमकार 
✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

शुक्रवार, 4 जून 2021

हर लब्ज

 हो जाती है खामोश वो,

तब सिने मे ही दफ़न कर लेता हूँ

हर लब्ज 

हो जाती है आफ़लाइन वो, 

तब दिल में ही दफ़न कर लेता हूँ 

हर लब्ज 

मैसेज के प्राप्त होते ही वो, 

जब होती है आनलाइन, 

तब समझ जाती है वो, 

हर लब्ज

बताने लगती है प्राणप्रिय

बोल देती है फ़िर वो, 

हर लब्ज


#बेढँगा_कलमकार

✍ इन्द्र कुमार (इ.वि.वि.)

बुधवार, 2 जून 2021

नाज़ी हिटलर तानाशाह देखते हैं

 यु तो मसलो को शिकस्त देना,

कद्रदान जैसा है 

उन्होने देखा है क्या, 

कि परिन्दे की उड़ान कैसा है 

मगुरुरियत मे है खोये वे,

क्या मुनासिब है जिन्दगी 

समुंदर की गहराई नापने को

ठानी है उन्होने, 

पर देखा है क्या कि समुन्दर मे

उफ़ान कितना है


लब्बोलुआब है कि वो खुद को 

अहंकार मे चूर देखते है 

संसार पर हुकूमत अपना 

सभी वस्तु में कोहिनूर देखते हैं 


काफ़िल भी है हैरान अंजाम से 

हस्र है जरा भी, न आराम देखते हैं 

जब भी होते है नसे मे चूर वे 

खुद मे नाज़ी हिटलर तानाशाह देखते हैं


#बेढँगा_कलमकार 

✍  इन्द्र कुमार  (इ.वि.वि.)

थी आवाज भर, जो कभी सुकून

सजीव तस्वीर, वो नज़र, काजल, बिंदियां  कमाल की थी मुस्कुराता चेहरा, छिपी उसमें गुनेहगार भी थी दी थी जख्म, दर्द नहीं  कराह थी, शिथिल पड़े  एहस...